Wednesday, August 5, 2020


  • Gnash Puja     गणेश चतुर्थी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्यौहार है। यह त्यौहार भारत के विभिन्न भागों में मनाया जाता है किन्तु महाराष्ट्र में बडी़ धूमधाम से मनाया जाता है। पुराणों के अनुसार इसी दिन गणेश का जन्म हुआ था।गणेश चतुर्थी पर हिन्दू भगवान गणेशजी की पूजा की जाती है। कई प्रमुख जगहों पर भगवान गणेश की बड़ी प्रतिमा स्थापित की जाती है।  असल में कहा जाता है कि किसी भी प्रकार के पूजन अनुष्ठान आदि में विघ्नों और बाधाओं से मुक्ति पाने के लिए गणेश जी का पूजन करना आवश्यक है। कहा जाता है कि इससे इनकी कृपा प्राप्त होती है।
  • गणेश जी की पूजा सर्वप्रथम क्यों की जाती है  पौराणिक कथा है सभी देवताओं में यह इच्छा हुई कि सबसे पहले किसकी पूजा होनी चाहिए तभी सभी देवता भगवान शंकर के पास गए भगवान शंकर ने कहा कि जो सबसे पहले पृथ्वी के चक्कर लगाकर आएगा उसकी पहले पूजा होगी भगवान गणेश अपने माता-पिता के चक्कर लगाकर और कहा कि मैंने पूरी पृथ्वी घूम ली है उसकी बुद्धि और चतुराई से उसकी पहले पूजा होने लगी और सभी देवता पृथ्वी के चक्कर काटने चले गए इसलिए उनकी पूजा बाद में होती है
  • क्या गणेश जी की पूजा से लाभ होता है  कहा जाता है  गणेश भगवान की  पूजा करने से साधक को विशेष लाभ होता है  पर  क्या कभी  हमने  हमारे  शास्त्रों को पढ़ कर देखा है  नहीं  क्योंकि  हम तो पढ़े लिओखे हो कर भी  सच्चाई को नहीं जानना चाहते हैं  भगवान ने  हमें शिक्षा  इसीलिए जी है  कि हम  शास्त्रों में लिखें  गूढ़ रहस्य  और  शास्त्रों में लिखी  सत्य कथाओं को समझ सके  और सुनी सुनाई  दंत कथाओं को  सत्य नामांकन  सत्य के मार्ग पर  चलकर  शास्त्र  अनुरूप साधना करें  शास्त्र अनुकूल साधना करें  लेकिन आज कााा मानव भगवान प्राप्ति के लिए  शास्त्रों को नहीं पड़ता  और  दुनियादारी के काम के लिए शास्त्रों को मैं पढ़ कर किताबी ज्ञान खूब पड़ताा है किताबी ज्ञान से उसे संसार में मान सम्मान वह नौकरीी धंधा व्यवसाााय मिल जाता लेकिन आज का मानव भगवाान को  पाना  ही नहीं  करना चाहता है   
  • गणेश प्राप्ति का विधान  कहते हैं किसी भी इष्ट देव की पूजाकरने के लिए व उसकी प्राप्ति के लिए गुरु बनाना जरूरी गुरु पूराा होना चाहिए उसे सभी शास्त्रों का ज्ञान  होनााचाहिए  वर्तमान  समय में संंत रामपालजी पूर्ण  गुरु हैं 
  • संत कबीर   के ज्ञान आदर्शश पर चलते हुए संत रामपाल जी महाराज ने सभी शास्त्रों को खोल कर बता दिया है सभीी देवताओं पूजा शास्त्र अनुकूूूूूल करनी चाहिए जिससे वे अधिक लाभ देते हैं भगवान गणेश जी का एक मूल मंत्र है जो पूरे संसार में संत रामपाल जी महाराज के पास है वह मूल मंत्र जिससे भगवान गणेश जी अति प्रसन्न होते हैं वैसे तो संत रामपाल जी महाराज के  पास सभी भगवानों के मूल मंत्र है जिससे वे अति प्रसन्न होकर साधक को बिना  मांगेे  फल देते  हैं 
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  • क्या भगवान गणेश जी से मोक्ष संभव है वैसे तो किसी भी इष्ट देव की पूजा मोक्ष प्राप्ति के लिए करते हैं लेकिन क्या गणेश जी की पूजा करने से सांसारिक लाभ के साथ साथ मोक्ष भी संभव है कि नहीं गणेश जी की पूजा करने से पूर्ण मोक्ष संभव नहीं है पूर्ण मोक्ष से तो उसे पारब्रह्म की भक्ति से ही संभव है 

  • पूर्ण मोक्ष कैसे हो पूर्ण मोक्ष तो उस पारब्रह्म की भक्ति से ही होगा उसे पारब्रह्म का नाम वेदों में कबीर साहेब बताया गया है कबीर साहेब की महिमा चारों वेद गाते हैं कबीर साहेब की महिमा ही सभी ग्रंथों में और सभी धार्मिक ग्रंथों में और सभी धर्मों में बताई गई है वह कबीर साहेब पूरे संसार का जनक है बाइबिल में प्रमाण है सूरजपुर का ने 52 से 59 तक जिस परमात्मा से पूरे संसार की उत्पत्ति हुई है उस परमात्मा का नाम कबीर है जिसे परमात्मा ने आकाश और पृथ्वी के बीच जो कुछ भी है उसको 6 दिन में बना करें सातवें दिन अपने सिंहासन बैठकर विश्राम किया इससे यह भी सिद्ध होता है कि वह परमात्मा साकार है मनुष्य जैसा है निराकार नहीं है और उसका नाम कबीर है वह परमात्मा बड़े से बड़े पाप कर्म को काट सकता है और साधक को पूर्ण सुख दे सकता है अगर साधा के  मृत्यु के समीप पहुंच गया हो  उसका जीवन का अंत हो गया हो तो वह पूर्ण परमात्मा  अपने सादिक की आयु बढ़ाकर उसे 100 वर्ष की आयु प्रदान करता है  यह सब हमारे वेदों में लिखा हुआ है लेकिन  कहते हैं गुरु विन  वेद पढ़े जो प्राणी समझे नहीं सार रहे अज्ञानी अधिक जानकारी के लिए देखें साधना टीवी रोज 7:30 से 8:30 शाम को और दिन में देखिए दोपहर को श्रद्धा टीवी 2:00 बजे से 3:00 बजे तक और अनेक टीवी चैनलों पर 
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जगन्नाथ भगवान का मंदिर

  •  जगन्नाथ मंदिर की कथा         
21 ब्रह्मांड का स्वामी काल यह पहले सतलोक में रहा करता था इसने तप कर परमात्मा से  21 ब्रह्मांड लिए  है जैसे एक पुत्र अपने पिता से 21 प्लॉट दे देता है इन 21 ब्रह्मांड में जीव आत्माएं नहीं थी तब फिर जोत निरंजन ने अपने पिता से जीवात्माए   मांगी परमात्मा वचनबद्ध होकर इसे जीवात्मा दे देते हैं जीव आत्माएं भी इसलिए देनी पड़ी कि वह जीवात्माए  अपने पति बरता पद से गिर चुकी थी परमात्मा के बार-बार मना करने के बाद भी हम सभी जीव आत्माएं इस काल पर आसक्त हो गए जिसे जोत निरंजन भी कहते हैं काल भगवान भी कहते हैं परमात्मा ने सतलोक में ही इसे रहने का स्थान बता दिया था सबसे पहले जो जीवात्मा जोत निरंजन के साथ आने के लिए कदम उठाई थी उसका नाम दुर्गा व कन्या का रूप परमात्मा ने दिया उस कन्या को परमात्मा ने आदेश दिया था कि आप जोत निरंजन की सृष्टि में सहायता करेंगी जितनी जीव आत्मा जोत निरंजन को चाहिए  देंगी जोत निरंजन ने उसका सुंदर रूप देखकर उसके साथ गलत व्यवहार किया किया जिससे हम वहां से निकाल दिए गए वह परमात्मा जिसने सभी ब्रह्मणों की रचना की है वह कबीर देव है वह सतलोक में रहता है यह काल अपने 21 ब्रह्मांड में अपना हुकम चलाता है अपना राज करता है यहां पर उस पूर्ण परमात्मा की जीवात्मा इस काल के जाल में फंसी हुई है वह काल इनके साथ दुर्व्यवहार करता है इस कारण एक बार परमात्मा दुखी होकर इसके पास आए परमात्मा को देखकर काल भयभीत हो गया और परमात्मा को मारना चाहा अंतर्यामी को कौन मार सकता है परमात्मा ने उसकी पिटाई की पिटाई खाने के बाद वह जोत निरंजन परमात्मा से माफी मांगा और बोला  परमात्मा आप मेरे इस ब्रह्मांड को मत उजाडो  और आप यहां से जीव आत्माएं अपनी बना के ले जाना आप संसार में जाओ और अपना ज्ञान प्रचार करो लेकिन अपना बना कर ही ले जाना जो अपना नहीं बनेगा वह मेरे जाल में ही रहेगा और परमात्मा से यह कहा था कि परमात्मा मेरा पुत्र विष्णु त्रेता युग में पृथ्वी पर मेरे हुक्म के अनुसार लीला करेगा तब समुद्र उसको रास्ता नहीं देगा तो आप समुद्र में पुल बनवा देना तथा कलयुग में समुद्र अपना बदला लेना चाहेगा श्री कृष्ण के मंदिर को नहीं बनने देगा बार-बार तोड़ेगा तो आप मंदिर बनवा देना परमात्मा ने कहा ठीक है और वह अंतर्ध्यान हो गए अपने वचन के अनुसार परमात्मा त्रेता युग में मुनींद्र ऋषि के रूप में आए नल और नीर नामक दो अपने भक्तों से वह  राम सेतु पुल बनवाया और अंतर्ध्यान हो गए फिर  कलयुग में परमात्मा ओडिशा पुरी में प्रकट होकर समुद्र के सामने एक चबूतरा बनवाया वह चबूतरा आज भी मौजूद है उस चबूतरे पर स्वयं परमात्मा साधु रूप बनाकर विराजमान हुए और समुद्र को आदेश दिया कि आप भगवान श्री कृष्ण की खाली पड़ी द्वारकापुरी को डुबोकर अपना प्रतिशोध ले सकते हो परमात्मा कबीर साहिब ने वह मंदिर बनवा कर आदेश दिया था कि इस मंदिर में किसी प्रकार का पाखंडवाद नहीं होगा नहीं इस मंदिर में मूर्ति पूजा होगी मूर्ति सिर्फ दर्शनार्थ होगी वह मूर्ति भी स्वयं पूर्ण परमात्मा कबीर साहिब ने ही बनाई थी कबीर परमात्मा एक कमरे में बंद होकर अपनी लीला अनुसार मूर्ति बना रहे थे तभी गोरखनाथ जी अपनी सिद्धि से वहां आ जाते हैं और कहते हैं कमरे को खोल कर देखो कारीगर कैसी  मूर्ति बना रहा है कमरे को खोलकर देखा तो परमात्मा अंतर्ध्यान हो गए और मूर्ति आधी अधूरी रह गई वही आधी अधूरी मूर्ति वहां पर स्थापित कर दी गई अधिक जानकारी के लिए देखिए साधना टीवी 7:30 से 8:30 रात को व पढ़िए ज्ञान गंगा पुस्तक व अनेक पुस्तकें भी संत रामपाल जी महाराज के आश्रम से पूरे संसार में सेवा की जाती है जिनका नाम अलग-अलग हो सकता है 

Marriage

संत रामपाल जी के शिष्य करतहै दहेज रहित शादी बिना किसी आडम्बर के बिना किसी दिखावे के एक तरफ लोगो के लाखो रूपये का दहेज देने के बावदूद भी बेट...